भूतिया हवेली का रहस्य
शहर से कुछ किलोमीटर दूर, एक घने जंगल के बीचों-बीच एक पुरानी, सुनसान हवेली थी—ब्लैकवुड मैनर। इस हवेली के बारे में भयानक कहानियाँ प्रचलित थीं। कहा जाता था कि वहाँ जाने वाला कोई भी इंसान जिंदा वापस नहीं लौटता। लेकिन एडवर्ड, सोफिया, रॉबर्ट और एम्मा जैसे रोमांच प्रेमी युवाओं के लिए यह सिर्फ एक अफवाह थी।
रहस्यमयी दरवाजा
शाम का वक्त था जब वे चारों उस हवेली के सामने पहुँचे। हवेली विशाल थी, उसके दरवाजे जंग लगे थे, और खिड़कियों पर जाले जमे हुए थे। हवेली की तरफ़ देखते ही एक ठंडी लहर उनके शरीर में दौड़ गई।
"क्या तुम सब यकीनन अंदर जाना चाहते हो?" सोफिया ने घबराते हुए पूछा।
"बिलकुल!" एडवर्ड मुस्कुराया। "यह सिर्फ़ एक पुरानी हवेली है। भूत-वूत जैसी कोई चीज़ नहीं होती!"
रॉबर्ट ने धक्का देकर दरवाजा खोला, जो एक अजीब कर्कश आवाज़ के साथ खुल गया। अंदर घुप्प अंधेरा था। चारों ने अपने मोबाइल की टॉर्च जलाई और अंदर कदम रखा।
जैसे ही वे अंदर गए, दरवाजा ज़ोर से अपने आप बंद हो गया!
"यह… यह हवा का झोंका रहा होगा," एम्मा ने खुद को समझाने की कोशिश की।
पर अंदर का माहौल अजीब था। हवा में सड़ांध भरी गंध थी। दीवारों पर लगे चित्रों में खौफनाक आँखें चमक रही थीं, जैसे कोई उन्हें घूर रहा हो।
भूतिया परछाइयाँ और गूंजती आवाज़ें
वे आगे बढ़ते गए, पर अचानक एक कोने से एक अजीब-सी फुसफुसाहट सुनाई दी।
"कौन है वहाँ?" एडवर्ड ने पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
"यहाँ हमें नहीं आना चाहिए था," सोफिया काँपते हुए बोली।
तभी, छत पर दौड़ने की आवाज़ आई—टपटप…टपटप…
"क्या यह सच में कोई…?" एम्मा का गला सूख गया।
रॉबर्ट ने हिम्मत दिखाते हुए सीढ़ियों की ओर बढ़ने का इशारा किया। चारों ऊपर गए, लेकिन ऊपर का मंज़र और भी डरावना था।
एक लंबा, अंधेरा गलियारा था, जिसकी दीवारों पर खून जैसे लाल निशान थे। गलियारे के अंत में एक दरवाजा था, जो धीरे-धीरे अपने आप खुल रहा था…
कमरे का खौफनाक सच
चारों ने अंदर झाँका तो देखा—एक पुराना झूला हिल रहा था, जैसे कोई उसमें बैठा हो। कमरे के बीचों-बीच एक पुराना लकड़ी का ताबूत रखा था।
"हमें यहाँ से जाना चाहिए," सोफिया ने काँपते हुए कहा।
लेकिन एडवर्ड को जैसे किसी अजीब ताकत ने अपनी ओर खींच लिया। वह ताबूत के पास पहुँचा और उसे छू लिया।
अचानक ताबूत ज़ोर से हिलने लगा। अंदर से किसी ने दरवाजा खटखटाया।
"हे भगवान!" एम्मा चिल्लाई।
अचानक ताबूत का ढक्कन खुल गया, और अंदर से एक सफेद परछाईं निकली। उसकी आँखें काली थीं, चेहरा झुलसा हुआ था। उसने एक भयानक चीख मारी—
"तुम लोग यहाँ नहीं आ सकते! यह मेरी कब्रगाह है!"
कमरा हिलने लगा। खिड़कियाँ ज़ोर से बंद हो गईं। हवेली की दीवारों से डरावनी आवाज़ें आने लगीं।
आखिरी भाग: भागने की कोशिश
चारों ने पूरी ताकत लगाकर दरवाजे की ओर दौड़ लगाई, लेकिन दरवाजा अपने आप बंद हो गया!
"यह हमें बाहर नहीं जाने देगा!" रॉबर्ट ने घबराकर कहा।
"हम कोशिश तो कर सकते हैं!" एडवर्ड ने जोर लगाकर दरवाजा धक्का दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
तभी परछाईं उनके करीब आई। उसने अपनी लंबी, ठंडी उँगलियाँ एडवर्ड की गर्दन पर रख दीं। एडवर्ड की आँखें सफेद होने लगीं, जैसे उसकी आत्मा खींची जा रही हो।
"नहीं!" सोफिया ने पास पड़ी लकड़ी उठाई और परछाईं की ओर फेंकी।
अचानक परछाईं ज़ोर से चीख़ी और गायब हो गई। उसी वक्त दरवाजा खुल गया।
चारों गिरते-पड़ते बाहर भागे। जैसे ही उन्होंने हवेली के गेट को पार किया, हवेली एक गहरी चीख़ के साथ गायब हो गई।
सिर्फ़ एक खाली मैदान बचा था।
चारों हाँफते हुए एक-दूसरे को देखने लगे।
"क्या… क्या सच में ऐसा हुआ?" रॉबर्ट ने कहा।
एडवर्ड ने धीरे से अपनी गर्दन छुई। वहाँ जलने के निशान थे।
"हाँ," एडवर्ड धीरे से बोला। "यह सच था… और अब यह हमारे साथ
हमेशा रहेगा।"
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समाप्त!
क्या आप भी ऐसी हवेली में जाने की हिम्मत करेंगे?
अस्वीकरण
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